नीलगिरि पर्वतीय रेलवे

Sept. 10, 2024

नीलगिरि पर्वतीय रेलवे (NMR) लाइन के एक स्टेशन- कुन्नूर रेलवे स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पूरी तरह से बदला जा रहा है। इसकी आलोचना हेरिटेज ट्रेन और इतिहास के शौकीनों द्वारा की जा रही है।

नीलगिरि पर्वतीय रेलवे के बारे में:

  • स्थान: मेट्टुपलायम से ऊटी तक रेलवे लाइन 45.88 किमी लंबी है और यह पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलानों पर तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले और आंशिक रूप से नीलगिरि जिले में स्थित है।

  • इसे नीलगिरि रेलवे कंपनी की ऊटी टॉय ट्रेन कहा जाता है, जो पहली बार 15 जून, 1899 को सेवा में आयी थी ।

  • इतिहास:
    • पहली बार 1854 में मेट्टुपलायम से नीलगिरि पहाड़ियों तक पर्वतीय रेलवे बनाने की योजना बनाई गई थी।

    • लेकिन नौकरशाही की लालफीताशाही को खत्म करने और लाइन का निर्माण एवं स्थापना पूरी करने में निर्णयकर्ताओं को 45 वर्ष लग गए। 

    • जून 1899 में लाइन पूरी हुई और यातायात के लिए खोल दी गई। 
    • इसे सबसे पहले मद्रास रेलवे ने सरकार के साथ एक समझौते के तहत संचालित किया था। 


  • नीलगिरि पर्वतीय रेलवे को 2005 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई, जो भारत के अन्य प्रसिद्ध पर्वतीय रेलवे जैसे- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे और कालका-शिमला रेलवे की श्रेणी में शामिल हो गया। 
  • यह पदनाम रेलवे के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है, साथ ही इसकी भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने में भूमिका को भी दर्शाता है।