रंगहीनता (Albinism)

Jan. 30, 2023

हाल ही में कावेरी वन्यजीव अभयारण्य में एक आंशिक अल्बिनो ढोल (Cuon alpinus) का फोटो-प्रलेखन किया गया है।

रंगहीनता के बारे में:

  • रंगहीनता उन कोशिकाओं का परिणाम है, जो त्वचा, स्कैल, आंखों और बालों को रंगने के लिए आवश्यक वर्णक - मेलेनिन का उत्पादन नहीं कर सकती हैं।
  • जब माता-पिता दोनों में अप्रभावी जीन होते हैं तो यह अनुवांशिक स्थिति संतानों में चली जाती है। जो रंगहीनता से ग्रसित होते हैं, वे जीव सफेद या गुलाबी दिखाई दे सकते हैं।
  • मेलेनिन का उत्पादन मेलेनोसाइट्स (melanocytes) के भीतर होता है, जो विशेष कोशिकाएं होती हैं लेकिन अल्बिनो स्तनधारियों (albino mammals) में पूरी तरह कार्यात्मक नहीं हैं।

ढोल के बारे में मुख्य तथ्य:

  • ढोल या एशियाई जंगली कुत्ता सम्पूर्ण भारत के तीन समूहों में पाया जाता है, अर्थात् पश्चिमी और पूर्वी घाट, मध्य भारतीय भू-क्षेत्र और उत्तर पूर्व भारत।
  • पश्चिमी और पूर्वी घाट, ढोल के लिए एक उत्तम क्षेत्र हैं।
  • संरक्षण की स्थिति:
    • IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered) 

    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची II

    • साइट्स: परिशिष्ट II 

कावेरी वन्यजीव अभ्यारण्य के बारे में: 

  • यह कर्नाटक में तीन जिलों- चामराजनगर, मांड्या और रामनगर तक फैला हुआ है।
  • अभ्यारण्य उत्तर में बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान, दक्षिण में बीआरटी बाघ अभ्यारण्य (BRT Tiger reserve) और माले महादेव पहाड़ी वन्यजीव अभ्यारण्य के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी प्रदान करता है।
  • इस क्षेत्र में तीन नदियाँ हैं- कावेरी, अर्कावती और शिमशा। 
  • वनस्पति:  मुख्य रूप से शुष्क पर्णपाती और झाड़ीदार वन होते हैं। लेकिन वनों की एक विस्तृत श्रृंखला पायी जाती है - जिसमें आर्द्र पर्णपाती, अर्ध-सदाबहार, सदाबहार, शोला, नदीय, हार्डविक वन आदि शामिल हैं।
  • जीव: अभ्यारण्य में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण जानवर बाघ, हाथी, तेंदुआ, बाइसन, जंगली कुत्ता आदि हैं।